Samastipur News:आज से 20 तारीख तक उत्तर बिहार के जिलों में हल्के बारिश भी हो सकती हैं मौसम के शुष्क रहने की जताई जा रही है संभावना

Samastipur News: समस्तीपुर ग्रामीण कृषि मौसम सेवा पूसा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा शुक्रवार को 16-20 मार्च तक का मौसम पूर्वानुमान जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि इस पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते हैं। हालांकि मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है। इस अवधि में अधिकतम तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।

Samastipur News न्यूनतम तापमान 18 से 20

न्यूनतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकती है। इस अवधि में औसतन 9 से 12 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से मुख्य रुप से पछिया हवा चलने की सम्भावना है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 75 से 85 प्रतिशत तथा दोपहर में 35 से 45 प्रतिशत रहने की संभावना है। शुक्रवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 1.8 डिग्री सेल्सियस अधिक रहते हुए 32.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

वहीं न्यूनतम तापमान सामान्य से 0.5 डिग्री सेल्सियस कम रहते हुए 15.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम साफ के बाद गेहूं की फसल को पहुंच रहा लाभ। उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल आ सकते है। हालांकि मौसम के शुष्क रहने की संभावना है। 33 से 35 डिग्री सेल्सियस अधिकतम व 18-20 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम तापमान रहने की संभावना है। डॉ. ए सत्तार, मौसम वैज्ञानिक, डीआरपीसीएयू, पूसा उत्तर बिहार में मौसम के शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए किसानों को खड़ी फसलों में आवश्यकतानुसार सिंचाई करने की सलाह दी गई है।

सरसों की कटनी, दौनी एवं सुखाने के कार्य को उच्च प्राथमिकता देकर संपन्न करें। भूमि का तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है अतः तैयार आलू की खोदाई अविलंब कर लें। ओल की फसल की बुआई करें। बुआई के लिए गजेंद्र किस्म अनुशंसित है। प्रत्येक 0.5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75×75 सेमी रखें। 0.5 किलोग्राम से कम वजन की कंद की रोपाई नहीं करे। बीज दर 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से रखें।

बुआई से पूर्व प्रति गड्डा 3 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर, 20 ग्राम अमोनियम सल्फेट या 10 ग्राम युरिया, 37.5 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 16 ग्राम पोटेशियम सल्फेट का व्यवहार करे। ओल की कटे कन्द को ट्राइकोर्डमा मिरीडी दवा के 5.0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर रखने के बाद कन्द को निकालकर छाया में 10-15 मिनट तक सूखने दें उसके बाद उपचारित कन्द को लगाएं ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके तथा अच्छी उपज प्राप्त हो।

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